नेटवर्किंग में साथ काम करना पड़ता है और सभी स्वप्न होते हैं साकार

नेटवर्किंग में साथ काम करना पड़ता है और सभी स्वप्न होते हैं साकार
भारत में अभी 0.01 प्रतिशत लोक की करते हैं डायरेक्ट सेलिंग, बहुत बड़ा क्षेत्र है भारत नेटवर्किंगक के लिए
संजय दीक्षित
हाथरस। 1954 में आदर्श आनंद द्वारा बनागई गई फिल्म ‘‘नया दौर’’ में मोहम्मद  रफी और आशा भौसले ने जो गाना गया है कि ‘‘साथी हाथ बढ़ाना, साथी साथ निभाना, एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना। साथी हाथ बढ़ाना।’’ का जो संदेश है उसको पूरी तरह से नेटवर्किंग मार्केटिंग इंड्रिस्ट्रिज पूरा कर के दिखा रही है। नेटवर्किंग में लोग आपस में एक दूसरे का सहयोग कर के अपने जीवन के सारे के सारे स्वप्नों को पूरा नहीं कर रहे हैं। बल्कि औरों को भी इस लायक बना रहे हैं कि स्वप्नों पूरा करें अर्थात गाड़ी, बंगला और अन्य सुखसुविधा की सारी वस्तुओं को पा सकेंग और अपना एक अच्छा जीवनस्तर जी सकें। साथ ही आने
वाली पीढ़ियों को रोजी-रोजगार की जो चिंता होती है उसको भी समाप्त कर सें। वर्तमान में भारत में भी नेटवर्किंग को लोग समझने लगे हैं। हालांकि भारत डायरेक्ट सेलिंग  का एक बहुत ही संभावित देश है। क्योंकि भारत में अब नेटवर्किंग आरंभ हुई है इस लिए एक आंकड़े के मुताबिक भारत में अभी मात्र 0.01 प्रतिशत ही लोग नेटवर्किंग करते हैं, लेकिन आने वाले समय दस
Sanjay Dixit
प्रतिशत भी लोग भारत में नेटवर्किंग करने लगेंगे तो डायरेक्ट मार्केटिंग  से ही देश के 20 से 25 प्रतिशत लोग करोड़पति बन जाएंगे। आप इसी से अंदाज लगा सकते हैं कि नेट वर्किंग में क्या ताकत है। यह कहना गलत नहीं होगा कि नेटवर्किंग का ऐसा नया दौर चलपढ़ा है कि एक नया इतिहास लिखने को हैं। इसमें जो पहले आएंगे वही पहले पाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि डायरेक्ट सेलिंग के लिए उन्हें कौन सी कंपनी चुननी चाहिए। खासकर इसके लिए प्रॉडेक्ट वेस कंपनी होनी चाहिए। प्रॉड्क्ट क्वालिटि मेंटेंन करने चाहिए।

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