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Showing posts from December, 2018

ओरों के लिए क्यों अपने लिए बेचोगे तो बनोगे करोड़ पति

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ओरों के लिए क्यों अपने लिए बेचोगे तो बनोगे करोड़ पति पढ़ने लिखने के बाद भी नौकरी कब मिलेगी ?  अपना घर कब खरीदेंगे ? क्या मेरे नसीब में गाड़ी खरीदना लिखा है ? बेटी की शादी कब होगी ? बीमारियां पीछा नहीं छोड़ रही ? संजय दीक्षित      यह ही नहीं और भी बहुत सारे प्रश्न आपके लिए दिन में चेन से बैठने नहीं देते और रात में नींद आने नहीं देते आखिर आप करें तो करें क्या। क्योंकि सारी की सारी जढ़ आमदनी की है। खराब स्वास्थ्य को आखिर कब तक संभालें। क्योंकि दवाएं आपको जब तक साथ देंगी, तब तक आप उन्हें खरीदते रहेंगे, लेकिन खरीदें तो खरीदें कहां से। क्योंकि उनके लिए भी पैसा चाहिए। अब पैसा पहले घर खर्च के लिए निकालें कि इन दवाओं के लिए। जी हम तो कहते हैं ऐसा कुछ क्यों नहीं करते कि कहाबत सिद्ध हो कि ‘आम के आम और गुठलियों के दाम’। हां हमारे पास इसका समाधान है, लेकिन आप माने तब ना अभी और सोचलो, समझ लो एक-एक मिनट कीमती है। जो मिनट आपकी निकल रही है वह दोबारा आपके जीवन में नहीं आएगी। दिन वही वही आएगा, रात वही आएगी, लेकिन निकला हुआ समय कभी भी वापस नहीं आएगा अब अपने सभी दुखां को द...

नेटवर्किंग में साथ काम करना पड़ता है और सभी स्वप्न होते हैं साकार

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नेटवर्किंग में साथ काम करना पड़ता है और सभी स्वप्न होते हैं साकार भारत में अभी 0.01 प्रतिशत लोक की करते हैं डायरेक्ट सेलिंग, बहुत बड़ा क्षेत्र है भारत नेटवर्किंगक के लिए संजय दीक्षित हाथरस। 1954 में आदर्श आनंद द्वारा बनागई गई फिल्म ‘‘नया दौर’’ में मोहम्मद  रफी और आशा भौसले ने जो गाना गया है कि ‘‘साथी हाथ बढ़ाना, साथी साथ निभाना, एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना। साथी हाथ बढ़ाना।’’ का जो संदेश है उसको पूरी तरह से नेटवर्किंग मार्केटिंग इंड्रिस्ट्रिज पूरा कर के दिखा रही है। नेटवर्किंग में लोग आपस में एक दूसरे का सहयोग कर के अपने जीवन के सारे के सारे स्वप्नों को पूरा नहीं कर रहे हैं। बल्कि औरों को भी इस लायक बना रहे हैं कि स्वप्नों पूरा करें अर्थात गाड़ी, बंगला और अन्य सुखसुविधा की सारी वस्तुओं को पा सकेंग और अपना एक अच्छा जीवनस्तर जी सकें। साथ ही आने वाली पीढ़ियों को रोजी-रोजगार की जो चिंता होती है उसको भी समाप्त कर सें। वर्तमान में भारत में भी नेटवर्किंग को लोग समझने लगे हैं। हालांकि भारत डायरेक्ट सेलिंग  का एक बहुत ही संभावित देश है। क्योंकि भारत में अब नेटवर्किंग आरं...

स्वप्न देखकर काम करोगे तो हो जाओगे आम से खास

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स्वप्न देखकर काम करोगे तो हो जाओगे आम से खास -गंभीता से हर्बलधारा में कार्य करेंगे तो दो वर्ष में करोड़ का कर सकते हैं आंकड़ा पार -हर्बलधारा नेटवर्किंग बेरोजगारी का है दुश्मन, आर्थिक आजादी का मिशन हर्बलधारा के सीएमडी से हाथ मिलाकर स्वागत करते मनोज सेंगर नीजर चौधा मालापहना कर हाथ मिलाते हुए साफा पहना कर स्वागत किया गया राजकुमार यादव का हाथरस जंक्शन। जो स्वप्न देखता है और उनको पूरे करने के लिए प्रयास करता है, वह निश्चित ही ऊंचाई की गोद में जाकर बैठता है। साथ ही निरंतर सफलता को चूंमता रहता है। हमको सफल होना है तो अपने स्वप्नों को संजोना ही होगा। स्वप्नों को पूरा करने के लिए हमको लक्ष्य भी साधने होंगे। लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हमें निरंतर कार्य करते रहना होगा। जब हम इसमें पारंगत हो जाएंगे तो निश्चित ही आपके जीवन में हर्बलधारा जैसे प्लेटफार्म का लाभ मिलेगा और आप भी आम से खास बन जाओगे, लेकिन लगातार चलते रहना होगा। यह उद्गार हाथरस जंक्शन स्थित सांई मैरिज होम में हुई हर्बलधारा सैमिनार के दौरान कंपनी के सीएमडी भेद सिंह ने भी सीएमडी राजकुमार यादव का किया स्वागत ...