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पांच दशक चार वर्ष के "जी+वन" भ्रमण की यात्रा में अगर कोई अपकृत्य हुआ है तो क्षमां की आकांक्षा है

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पांच दशक चार वर्ष के "जी+वन" भ्रमण की यात्रा में अगर कोई अपकृत्य हुआ है तो क्षमां की आकांक्षा है 👏🙏 🌹🌺🌸🌹🌺🌸🌹🌺🌸 *हानि, लाभ, जीवन, मरण,यश, अपयश विधि हाँथ* "जी" और "वन" यह दोनों ही शब्द वर्तमान में मानव जन्म को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। "जी"  अर्थात टू जी, थ्री जी, फोर जी और अब फाईव "जी" अर्थात "जी" के बगैर गाड़ी नहीं चलती। वहीं "वन" शब्द से आप सभी परिचित हैं। क्योंकि प्राचीन काल में मानव इन्ही में निवास करता था, लेकिन इन दोनों शब्दों को मिला दो तो एक शब्द बनता है और उसे कहते हैं "जीवन" अर्थात जन्म और मृत्यु के मध्य का बीता हुआ काल। जन्म का प्रथम पल जन्म समय कहलाता है और प्रथम दिन को जन्मदिन कहते हैं। यह पल और दिन माता-पिता की कृपा से संतान को प्राप्त होता है। जीव के पहले दिन पर लोग खुशी मनाते हैं और अंतिम दिन शोक। पहले और अंतिम दिन के मध्य काल को ही "जीवन" कहते हैं। जो कर्म करने और कर्म सुधारे का हमको अवसर प्रदान करता हैं। कर्म ही हमें "फल" प्रदान करत...